याद होगा आपको हमारा प्यारा मुस्सद्दीलाल चक्कर काट-काट कर जो रहता था अक्सर बेहाल? अब उसका बेटा मुस्सद्दीलाल जूनियर हुआ है "अडल्ट" जो अब तक था मैनर ले ली है अब इसने अपने हाथों में सारी भाग-दौड़ बनवाना है इसे अपना लैसंस, वीज़ा और पासपोर्ट जी हाँ भैया अब यह जायेंगे परदेश परंतु निश्चय है, कर के पढ़ाई लौटेंगे अपने ही देश! पासपोर्ट ऑफिस के बाहर मिले भाटिया एजंट "३००० साहब, पासपोर्ट चाहिए ना अर्जंट?" "क्यों दू मैं आपको ३०००? जब की ओफ़िशिअल रेट है १०००?" "कहाँ साहब यूँ ही चक्कर लगाएँगे? पिताजी के तो घिस गए, आप भी जुते घिसवायेंगे?" बिना इस बात को बढाए, M2 चला गया भीतर ना लाच, ना चोरी, ना कोई ग़लत काम इतर लाईन में खड़े रहें, १००० चुक्ते किये १५ दिन बाद पुलिस ने घर पर दस्तक दिए बाहर निकलते ही पटेल इंस्पेक्टर ने पूछा, "भाई साहब कुछ देंगे?" "नहीं!" शांति से बोला M2 "काग़ज़ात दिखा कर रवाना करेंगे!" जब गए यह लिसंस ऑफिस, निकलवाया इसी ईमानदारी से काम मुश्किल नहीं था, बस पुचा नहीं सामने से "शुक्लाजी, क्या है आपका दाम?" भले लगे यह...